39 सप्ताह में, शिशु अब एक फुल टर्म बेबी बन गया होता है, और इस समय आपमें बड़ा उत्साह होता है जब आप अपने शिशु को बाहर लाने के लिए तैयार हो रही हैं। प्राकृतिक संकेतों के माध्यम से गर्भवतियां अपने बच्चे को जन्म देने की तैयारी में होती हैं।
शायद आपका शिशु भी महसूस कर रहा है कि उसका समय आ गया है। इस समय, शिशु बर्थ वेट में आ चुका होता है, जिससे आपकी हर्षित भावनाएं और शिशु के जन्म की प्रतीक्षा और भी बढ़ती है।
39 सप्ताह में, लेबर के संकेतों का ध्यान रखना महत्वपूर्ण है। आपको अपना हॉस्पिटल बैग तैयार रखना भी उचित है क्योंकि अक्सर गर्भवतियां 40 सप्ताह से पहले ही शिशु को जन्म देती हैं। आपकी उत्सुकता शिशु को सुरक्षित तरीके से जन्म देने के लिए होती है।
उन्निस सप्ताह गर्भावस्था को फुल टर्म कहा जाता है, और आपको लेबर के संकेतों के साथ हॉस्पिटल के लिए तैयार रहना चाहिए। चाहे शिशु को जन्म होने का आभास हो या ना हो, एक विनम्र तैयारी आपको और आपके शिशु को सुरक्षित रख सकती है।
39 week pregnancy – 9 माह गर्भावस्था
3rd trimester – गर्भावस्था तीसरी तिमाही
1 week’s to go – 1 सप्ताह बांकी हैं
गर्भावस्था 39 सप्ताह – लक्षण, शिशु, प्रेगनेंसी टिप्स और देखभाल से जुड़ी जरूरी बाते | 39 week pregnancy in hindi
आपके जानने योग्य बिन्दु!
- शिशु के आकार में बड़ा परिवर्तन तो नहीं होता, लेकिन उसका दिमाग अब शरीर के लगभग 30% क्षेत्र को आवरित करता है, जिससे उसकी सामाजिक और इंटेलेक्चुअल क्षमताएं विकसित हो रही हैं।
- शिशु की त्वचा गुलाबी, सफेद, या ग्रे रंग की हो सकती है, और जन्म के समय उसमें कोई पिगमेंट नहीं होता है, जिससे आप उसका असली रंग जन्म के बाद ही देख सकती हैं।
- शिशु का बर्थ वेट लगभग 6 से 9 पाउंड के बीच होता है, इससे उसकी स्वस्थ विकास दर्शाने में मदद होती है।
“39 सप्ताह की प्रेगनेंसी में शिशु का विकास – बेबी डेवलपमेंट देखिए”
शिशु की सफेद त्वचा
शिशु की सफेद त्वचा नवजात शिशु की सामान्य स्थिति होती है। इस समय, त्वचा का रंग गुलाबी से सफेद हो जाता है, लेकिन इसमें अब तक कोई फर्क महसूस नहीं होता। जब शिशु बढ़ता है, तो पिग्मेंटेशन के कारण त्वचा पर एक मोटी परत बनने लगती है, जो उसकी त्वचा को मजबूती प्रदान करती है। इसके पश्चात, आप शिशु का असली रंग देख पाएंगी।
शिशु का रोना
बच्चे जन्म के समय बहुत रोते हैं, जो उनकी असमंजस में एक सामान्य प्रतिक्रिया होती है। इस समय में, आपकी समझदारी और साथीकता उन्हें सहारा प्रदान कर सकती है।
हालांकि, यह अच्छा है कि आप जानती हैं कि शिशु अभी आंसू नहीं निकाल सकता। उनकी नई दुनिया में समाहित होने की प्रक्रिया में, आपकी ममता और देखभाल का होना महत्वपूर्ण है। पहले 1 से 2 महीने में, आपका संबंध और ध्यान शिशु के साथ जुड़ने में मदद कर सकते हैं।
शिशु का आकार और तिमाही के 39वां हफ्ते:
39 सप्ताह में शिशु का वजन और आकार विकसित होते हुए, फुल टर्म होने का संकेत देता है। शिशु इस समय में लगभग 7 से 8 पाउंड का हो जाता है और 19 से 21 इंच लंबा हो जाता है। इस सप्ताह से लेकर शिशु का आकार बड़ा होने में विशेष बदलाव नहीं होता, लेकिन उसका दिमाग तेजी से विकसित हो रहा है जो उसकी सामाजिक और मानसिक क्षमताओं को सुधारने में मदद करेगा। 39 सप्ताह में, आप पूरे हृदय से अपने शिशु के आगमन का स्वागत करती हैं, जब उसे आपके बाहर आने का समय आता है।
गर्भ के बाहर जीवन – Survival outside the womb
39 सप्ताह में, शिशु एक फुल टर्म बेबी बन गया है, जिससे उसे बाहर आने के लिए समृद्धि हासिल हो रही है। जो शिशु 39 सप्ताह से 40 सप्ताह 6 दिन के भीतर जन्म होता है, उसे पूर्णता से फुल टर्म माना जाता है। एक फुल टर्म शिशु स्वस्थता में पूर्णरूप से विकसित होता है और इसकी जन्म से संबंधित किसी भी विकलांगता की संभावना बहुत कम होती है।
उन्नचालिस सप्ताह में गर्भवती का शरीर – Your body at 39 week pregnant in hindi
39 सप्ताह में लेबर कैसे प्रेरित करें
39 सप्ताह में लेबर को प्रेरित करने के लिए आप कुछ प्राकृतिक उपायों को आजमा सकती हैं। यहां कुछ उपाय हैं जो आप ट्राई कर सकती हैं:
गो फॉर वॉक – go for walk
“गो फॉर वॉक” एक सामान्य तरीका है जो कई गर्भवती महिलाओं द्वारा अपनाया जाता है। लंबे समय तक की चलने का तरीका गुरुत्वाकर्षण को बढ़ावा देने के लिए उपयुक्त माना जाता है, जिससे शिशु का नीचे आना सहायक हो सकता है और डाईलेशन होने में मदद कर सकता है।
एक्यूपंचर – acupuncture
ये भी कोई मेडिकली प्रमाणित तरीका तो नहीं है लेकिन कुछ लोग बताते हैं यह प्राचीन पद्धति से रक्त संचार बढ़ जाता हैं जिससे सर्विक्स में डाईलेशन शुरू होने लगता हैं गर्भवती महिलाओं के लिए, ऐसी किसी भी चिकित्सा प्रक्रिया का इस्तेमाल करने से पहले, डॉक्टर की सलाह और मार्गदर्शन महत्वपूर्ण होता है।
संभोग करना – sambhog karna
कुछ एक्सपर्ट्स मानते हैं संभोग करना कॉन्ट्रेक्शन लाने में मदद कर सकता हैं।
C- section की तैयारी
C-सेक्शन (सिजेरियन) डिलीवरी की तैयारी के दौरान, गर्भवती महिलाओं को हॉस्पिटल और बर्थ सेंटर से विभिन्न विकल्पों का चयन करने का मौका मिलता है। यह विकल्प C-सेक्शन के अलावा, induction मेथड ,शामिल हो सकते हैं। यह सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है कि जन्म के समय मां और शिशु की सुरक्षा की जा सके। अगर कोई इमरजेंसी नहीं है, तो हॉस्पिटल आपकी सुविधा के मुताबिक डिलीवरी की रणनीति में बदलाव कर सकता है।
जब शिशु को जन्म देने के बाद, जब आप उसे दूध पिला रही होंगी, तो इस समय सभी प्रयासों का फल आपको अनुभव होगा। यह आपके द्वारा की जा रही मातृ-शिशु संबंध को मजबूती से स्थापित करने में मदद कर सकता है और आपके दौरे को सुखद बना सकता है।
प्रसव के संकेत
गर्भवती महिलाओं को लेबर के संकेतों को पहचानने के लिए सतर्क रहना चाहिए। पानी की थैली का फूटना, डायरिया, मतली, एनर्जी लेवल में बदलाव, श्लेमा का स्त्राव, ब्लडी शो – ये सभी संकेत महत्वपूर्ण होते हैं और गर्भवती महिलाओं को जल्दी अस्पताल जाने की सुझावित कर सकते हैं। यह सुरक्षित डिलीवरी की सुनिश्चिति के लिए महत्वपूर्ण है।
अंतिम समय
आपके शिशु का जन्म नजदीक आने पर हार्दिक शुभकामनाएं! इस नए अद्भुत अनुभव के लिए आप तैयार हैं। जब तक शिशु आपके पास आता है, आप इस मातृत्व यात्रा का हर पल महसूस करेंगी। यह समय भरपूर खुशियों और अनुभवों का संग्रह हो सकता है।
इस अंतिम समय में आपके अनुभवों का सामंजस्य बनाए रखना महत्वपूर्ण है। खुद को ध्यान देना, सहायक साधनों का उपयोग करना, और आत्मा को शांति और समर्पण के साथ तैयार करना आपके लिए उत्तम होगा। इस समय को समर्पित करने से आप शिशु के साथ एक पूर्ण और प्यार भरे आरंभ का आनंद लेंगी।
“उन्नचालिस सप्ताह में गर्भावस्था के लक्षण – 39 week pregnancy in Hindi”
म्यूकस प्लग और ब्लडी शो
म्यूकस प्लग का निकलना एक प्राकृतिक प्रक्रिया है जिससे गर्भ में संकुलित मूकस को हटाने का कारण होता है। इसमें थोड़ी मात्रा में खून की छींटे भी हो सकती हैं, जो की एक आम तथा सामान्य प्रक्रिया है। यह शिशु के जन्म के पूर्व संकेत हो सकते हैं, लेकिन इसे लेबर की शुरुआत से सीधा जोड़ना मुश्किल है।
आपको शांति और सुरक्षा के साथ इस नए चरण में धरा की समर्थन की जरुरत होगी। आपके गाइड मेडिकल प्रोफेशनल्स से और आपके गर्भवती होने के अनुभवों से आपको सहायता मिलेगी।
पेल्विस प्रेशर
शिशु का सिर पेल्विस पर ड्रॉप होना गर्भावस्था के आधिकारिक संकेत हो सकता है और इससे आपको नितंबों में दबाव महसूस हो सकता है। इसमें मेंस्चूरेशन के समान ऐठन और मतली की स्थिति शामिल हो सकती हैं, जो आपको लेबर के आने का संकेत देने में मदद कर सकती हैं।
आपको यह जानकर भी राहत होगी कि इस समय पेल्विस प्रेशर नॉर्मल है
शिशु की हरकतों में बदलाव
शिशु की हरकतों में यह बदलाव एक स्वाभाविक प्रक्रिया है जब वह गर्भाशय में स्थिति में बदलता है। इसका मतलब है कि शिशु अब अपने जन्म के लिए तैयार हो रहा है, और इससे आपकी गर्भ में हरकतों में भी परिवर्तन हो रहा है।
ब्रैक्स्टन हाइक कॉन्ट्रेक्शन
ब्रैक्स्टन हाइक कॉन्ट्रेक्शन एक सामान्य प्रेगनेंसी का हिस्सा होते हैं जिन्हें आपने सही से महसूस किया है। ये आमतौर पर शांत हो जाते हैं जब आप पोजीशन बदलती हैं, लेकिन जब असली लेबर शुरू होती है, तो ये तीव्र होते हैं और पोजीशन बदलने पर भी शांत नहीं होते। इन्हें महसूस करना एक सामान्य प्रक्रिया है और इससे गर्भवती महिला को असुविधा हो सकती है, लेकिन आपकी अनुभवशीलता इसमें मदद करेगी।
झुनझुनी
झुनझुनी का महसूस होना गर्भवती महिलाओं में सामान्य है, और जब शिशु पेल्विस पर ड्रॉप होता है, तो यह अधिक संवेदनशील हो सकता है। इसकी वजह से शरीर की नसें स्टीमुलेट हो सकतीं हैं, जिससे झुनझुनी का महसूस होना संभावना है। यह एक सामान्य शारीरिक प्रतिक्रिया हो सकती है जो गर्भावस्था के दौरान होती है।
पीठ में दर्द
गर्भावस्था के अंतिम समय में पीठ दर्द तीव्र हो सकता है और यह लेबर के आसपास के समय के आसपास होने वाली एक सामान्य तथा सांत्वना भरी प्रतिक्रिया हो सकती है। गर्म स्नान पीठ दर्द में राहत देने में मदद कर सकता है।
पानी की थैली लीक होना
पानी की थैली का लीक होना शिशु के जन्म के आसपास होने वाला एक महत्वपूर्ण संकेत हो सकता है। अगर आपको ऐसा लगता है, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें और आवश्यक दिशा निर्देश प्राप्त करें।
ब्लडी शो
ब्लडी शो एक सामान्य प्रसव संकेत हो सकता है, जिसमें योनि स्राव का रंग बदल सकता है। यह संकेत है कि सर्विक्स में डाईलेशन और इफेसमेंट हो रहा है। यदि यह हो रहा है, तो आपको लेबर में प्रवेश का समय नजदीक हो सकता है।
उन्नचालिस सप्ताह गर्भावस्था में प्रसव के संकेत – labour symptoms at 39 week pregnancy in hindi
उन्नतिस सप्ताह में, जब गर्भवती महिला प्रसव के करीब आती है, उसके शरीर में कई परिवर्तन हो सकते हैं। कुछ संकेत शामिल हो सकते हैं:
ऊर्जा का स्तर: बहुत से महिलाएं उन्नतिस सप्ताहों में एक अच्छा ऊर्जा का स्तर अनुभव करतीं हैं, लेकिन इसके साथ ही थकान भी महसूस हो सकती है।
शारीरिक परिवर्तन: गर्भवती महिला अपने शरीर में स्थिति बदलने का अनुभव कर सकती है, जैसे कि बॉवेल प्रेसर, पेल्विस में दबाव आदि।
मानसिक स्थिति: चेतावनी संकेतों के कारण, महिला किसी क्षण में खुश हो सकती है और दूसरे क्षण में अधिक चिंतित और उत्सुक हो सकती है।
पानी की थैली फूटना
यदि 39 सप्ताह में पानी की थैली फूटी है, और आप कोई लेबर संकेत नहीं देख रही हैं, तो इसमें चिंता की कोई बात नहीं है। पहली बार मां बनी गर्भवतियां अक्सर 41 सप्ताह में प्रसव में जाती हैं। लेकिन यदि आपको किसी भी समय संबंधित समस्याएं महसूस हों, तो तत्पर रहना महत्वपूर्ण है और अपने डॉक्टर से सही सलाह प्राप्त करना उचित होगा।
गर्भावस्था के उन्नचालिस सप्ताह में अल्ट्रासाउंड – जाँच (Ultrasound Test) (उन्नचालिस सप्ताह में गर्भावस्था की जाँच):
39 सप्ताह के गर्भावस्था में अल्ट्रासाउंड और नॉन-स्ट्रेस टेस्ट महत्वपूर्ण होते हैं। अल्ट्रासाउंड के माध्यम से डॉक्टर शिशु की स्थिति, विकास और आंतरगत सुरक्षा का मूल्यांकन कर सकते हैं। नॉन-स्ट्रेस टेस्ट उन्नतिस सप्ताह में जुड़वा बच्चों के साथ गर्भवती महिलाओं की मॉनिटरिंग के लिए किया जाता है, जिससे शिशुओं की हलचल और हृदय की गतिविधि को देखा जा सकता है। ये जाँचें शिशु और मां की स्वास्थ्य की निगरानी में मदद करती हैं और जन्म की तैयारी को सुनिश्चित करने में सहायक हो सकती हैं।
इस सप्ताह याद रखने वाली बातें – week 39 pregnancy checklist
- खुद को आराम दें: अधिक आराम करने का समय लें, ताकि आप तैयार रहें।
- वॉक पर जाएं: योग्य तरीके से वॉक करना शिशु के नीचे गुरुत्वाकर्षण को बढ़ा सकता है।
- डिलिवरी के बारे में जानें: हॉस्पिटल और डॉक्टर की प्रक्रिया को समझें और डिलिवरी की तैयारी करें।
- ज्यादा से ज्यादा पानी पिएं: हाइड्रेशन बनाए रखने के लिए पानी की अधिक मात्रा में सुनिश्चित रहें।
- शिशु के लिए कपड़े तैयार रखें: शिशु के लिए पर्सनलाइज्ड और गर्म कपड़ों को साथ में रखना महत्वपूर्ण है।
- प्रिनेटल विटामिंस लेते रहें: डॉक्टर की सलाह के अनुसार प्रिनेटल विटामिंस जारी रखें।
गर्भावस्था उन्नचालिस सप्ताह के लिए टिप्स – “Self-Care Tips for 39 Week of Pregnancy in Hindi”
इलेक्ट्रॉनिक फैटल मॉनिटरिंग
इलेक्ट्रॉनिक फैटल मॉनिटरिंग से शिशु की हार्ट रेट में बदलावों को सही से ट्रैक करना डॉक्टरों को शिशु और लेबर की स्थिति को निरीक्षण करने में मदद करता है। यह एक महत्वपूर्ण टूल है जो डिलिवरी की प्रक्रिया में सुरक्षिती बनाए रखने में सहारा कर सकता है।
ब्रीच बेबी
ब्रीच पोजीशन में होने पर डॉक्टर आपको पेल्विस टिल्ट्स और क्नीलिंग हिप्स अपार्ट जैसी एक्सरसाइज़ करने का सुझाव देते हैं, ताकि शिशु का सिर नीचे आ सके।
छोटी सी नींद ले
आपको आराम की आवश्यकता है, चाहे तो छोटी सी नींद लें।
प्रसव के दौरान खाना
डॉक्टर की सलाह के अनुसार, आपको लेबर से पहले हल्का स्नैक लेना चाहिए जिससे आपको ऊर्जा मिले और आप ठीक से काम कर सकें। साथ ही, डॉक्टर के निर्देशों का पालन करना भी महत्वपूर्ण है।
शोध यह दिखाता है कि महिलाएं जिन्हें लेबर से पहले सही पोषण मिलता है, उनका लेबर कम समय में हो सकता है, लगभग 16 मिनट में। इसलिए, एक सही और स्वस्थ डाइट लेना बहुत महत्वपूर्ण है।
प्रसव के समय महिला का शारीरिक श्रम बहुत ज़्यादा होता है और इसके लिए उचित ऊर्जा की ज़रूरत है। खाली पेट होना आपकी ऊर्जा को कम कर सकता है, इसलिए लेबर के पहले सही खानपान उचित है।
उन्नचालिस सप्ताह के लिए प्रेगनेंसी डाइट
यदि आप वेजीटेरियन है तो आपको जरूरी पोषक तत्व जैसे प्रोटीन, विटामिन बी12, कैल्शियम, विटामिन डी, डीएचए, आयरन और फोलेट की उचित मात्रा लेना आवश्यक हैं
प्रोटीन:
दाल, चने, मूंगफली, सोया आदि एक्सेलेंट स्रोत हैं।
दूध और दैहिक उत्पाद:
दूध, दही, पनीर, छाछ, आदि से कैल्शियम, विटामिन डी, और बी12 मिलता है।
हरी सब्जियां और फल:
पलक, ब्रोकोली, कैल, अंगूर, आम, गुड़, संतरा आदि आपको आयरन, विटामिन डी, और फोलेट प्रदान कर सकते हैं।
फाइबर से भरपूर आहार:
ब्राउन राइस, ओट्समील, सबुदाना, बजरा आदि फाइबर से भरपूर होते हैं और पाचन को सुधार सकते हैं।
नारियल पानी और पूरे अनाज:
ये स्वस्थ तेलों और पोषण से भरपूर होते हैं, और सुरक्षित तरीके से आपको ऊर्जा प्रदान कर सकते हैं।
आम प्रश्न – प्रेगनेंसी से संबंधित कुछ जवाब
प्रेगनेंसी में कौन सी गलतियां ना करें?
नशीले पदार्थों का सेवन:
नशीले पदार्थों से बचें, जैसे कि अल्कोहॉल और धूम्रपान, क्योंकि इनसे गर्भ में नुकसान हो सकता है।
अत्याधिक शारीरिक कसरत:
अत्यधिक शारीरिक कसरत से बचें, खासकर जब आपकी डॉक्टर ने कुछ ऐसी कसरतें न करने की सलाह दी हो।
क्या प्रेगनेंसी में सेक्स कर सकते हैं?
प्रेगनेंसी के दौरान संबंध बनाए जाने पर कुछ सावधानियों का पालन करना महत्वपूर्ण है, जैसे कि डॉक्टर की सलाह, उचित पोजीशन, और तंग या दर्द की स्थिति में संबंध बनाएं। यदि कोई स्वास्थ्य समस्या हो, तो सबसे पहले अपने डॉक्टर से सलाह लें।
प्रेगनेंसी में क्या करना चाहिए?
सही लाइफ स्टाइल को अपनाना प्रेगनेंसी के दौरान महत्वपूर्ण है। इसमें स्वस्थ आहार, उचित व्यायाम, पर्याप्त आराम और स्वास्थ्य सुरक्षित गतिविधियों का सही तरीके से पालन करना शामिल है। इसके अलावा, अपने डॉक्टर की सलाह और निरंतर चेकअप्स का ध्यान रखना भी जरूरी है।
Matrishakti के कुछ शब्द
39 सप्ताह की गर्भावस्था में ध्यान रखना बहुत महत्वपूर्ण है। सही आहार, पर्याप्त पानी, और आराम आपके स्वास्थ्य के लिए अत्यंत जरूरी हैं। किसी भी संदेह की स्थिति में डॉक्टर से सलाह लेना सुरक्षित होता है ताकि आप और शिशु दोनों को सही दिशा में देखा जा सके।ं